કોઈ નઝમ ૨૧
किसी को दिल मे बस जाना गुना तो नहीं
किसी को दिल मे बसाना लेना खता नहीं
ज़माने की नज़र्र मे यह गुनाह है, तो क्या हुआ ?
ज़माने वाले इन्सान ही है , खुदा तो नहीं।
किसी को दिल मे बस जाना गुना तो नहीं
किसी को दिल मे बसाना लेना खता नहीं
ज़माने की नज़र्र मे यह गुनाह है, तो क्या हुआ ?
ज़माने वाले इन्सान ही है , खुदा तो नहीं।
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