કોઈ નઝમ ૨૦
दरिया वफ़ाओका कभी रुकता नहीं,
मुहोब्बत मे इन्सान कभी ज़ुकता नहीं,
खामोश है हम उसकी ख़ुशी के लिए…..
और वोह समज बैठे के दिल हमारा दुखता नहीं।
दरिया वफ़ाओका कभी रुकता नहीं,
मुहोब्बत मे इन्सान कभी ज़ुकता नहीं,
खामोश है हम उसकी ख़ुशी के लिए…..
और वोह समज बैठे के दिल हमारा दुखता नहीं।
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